रांची:
देश में कुल 5200 IAS अफसर हैं, जिनमें से 458 केंद्र में नियुक्त हैं। यह आंकडा इस पहली जनवरी तक का है। अबतक नियम है कि राज्यों को केंद्र सरकार में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और अखिल भारतीय सेवा (IAS) अधिकारियों की नियुक्ति करनी होती है। यह कुल कैडर की संख्या का 40 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है। लेकिन अब केंद्र सरकार ऐसा नियम लाने जा रही है कि यह अधिकार अब केंद्र के पास रहेगा। राज्य सरकार केंद्र के बुलाने पर किसी भी IAS अफसर को भेजने से मना नहीं कर सकेगी। केंद्र सरकार 31 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र में इस संशोधन को पेश कर सकती है। जिसका विरोध पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु सरकार ने किया है।
अब झारखंड सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है। सीएम हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी को पत्र लिखा है। जिसमें कहा कि झारखंड में अफसरों की वैसे ही कमी है। किसी अधिकारी की उसके संवर्ग के बाहर अचानक प्रतिनियुक्ति निश्चित रूप से अधिकारी और उसके परिवार के लिए भारी अशांति का कारण बनेगी। यह उनके बच्चों की शिक्षा में बाधा भी डालेगा। यह निश्चित रूप से अधिकारी को डिमोटिवेट करेगा। उसका मनोबल कम करेगा। उन्होंने कहा है कि केंद्र अपने लिए ऐसे अधिकारियों का एक स्थायी कोर कैडर बनाने पर विचार करे। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से प्रस्तावित संशोधनों पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है ताकि मौजूदा ढांचे में परामर्श और सहयोग के लिए जगह तैयार की जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य में केवल 140 IAS अधिकारी (65%) कार्यरत हैं। जबकि 149 की स्वीकृत संख्या के विरुद्ध झारखंड में भारतीय वन सेवा संवर्ग की स्थिति बेहतर नहीं है। राज्य सरकार को विशेष रूप से केवल तीन श्रेणी के अधिकारियों यानी आइएएस, आइपीएस और आइएफएस की सेवाएं मिलती हैं। जबकि भारत सरकार को हर साल 30 से अधिक अधिकारियों का एक बड़ा पूल मिलता है। अधिकारियों के इस पूल से भारत सरकार के मंत्रालयों में कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है। लेकिन झारखंड जैसे छोटे संवर्गों में अधिकारियों की भारी कमी है। कई अधिकारी एक से अधिक प्रभार संभाल रहे हैं और अधिकारियों की इस भारी कमी के कारण प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहा हैं। अधिकारियों को जबरन हटाने से राज्य सरकार के लिए मुश्किल होगी।